भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वह सबका प्रभु / इंदुशेखर तत्पुरुष

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:32, 26 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सृजन किया जिसने नभ को
धरती को साधिकार
जो लपेटता अनवरत
दिवस को रजनी पर
रजनी के दिन पर
सूर्य-चंद्र चल रहे निरंतर
जिसने तय कर रखा हुआ है
किसको कब तक-
कितना चलना!
वह सबका प्रभु
क्षमाशील है।

(कुरआन, सूरा-39, आयत-5 का भावान्तरण)