भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाहर खेती-बारी रख / उदयप्रताप सिंह
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:13, 27 जनवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदयप्रताप सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बाहर खेती-बारी रख
आँगन में फुलवारी रख
थोड़ी दुनिया दारी रख
प्यार मुहब्बत जारी रख
यादें मधुर संजोने को
मन में एक अलमारी रख
ठहर मुसाफिरखाने में
चलने की तैयारी रख
भूत, भविष्यत जाने दे
वर्तमान से यारी रख
डंडी देख तराज़ू की
मन का पलड़ा भारी रख
चमक देखनी हीरे की
पृष्ठ भूमि अंधियारी रख
उदय ह्रदय के अनुभव सुन
ये बातें अखबारी रख