भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुनिया में भगवान न होता / गरिमा सक्सेना
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 1 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गरिमा सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दुनिया में भगवान न होता
फिर भयभीत इंसान न होता
हिम्मत करता वो न अगर तो
काम कभी आसान न होता
प्यार,वफ़ा,खुशियाँ जो मिलतीं
फिर कोई शैतान न होता
वादे निभाता नेता अगर तो
वो हरगिज़ धनवान न होता
ग़ौर से पढ़ लेता जो मेरे ख़त
वो मुझसे अनजान न होता