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पटेल की स्मृति में! / कविता भट्ट

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तिनका-तिनका बिखरे राष्ट्र को,
जोड़ा तुमने चहकते घोंसलें सा।

सम्बल दिया विकट घड़ी में,
सिसकते शिशु को बुलंद हौसले सा।

लौहपुरुष! हे नायक-अधिनायक!
राष्ट्रवाद, एकीकरण के परिचायक!

शत्-शत् नमन तुम्हें, हे! निजस्वार्थ से विमुख वैरागी।
कृषक-पुत्र अमर विभूति तुम दृढ़ देशानुरागी।