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कार्यकर्ता / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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देर रात थकाहारा
घर पहुँचता है कार्यकर्ता
घर पर सभी होते हैं सोए हुए
बस माँ जाग रही होती है
आहट लेते
लगाया हुआ खाना चुपके से खाता है कार्यकर्ता
माँ बतियाते रहती है यहाँ-वहाँ की
बहन के लिए आया रिश्ता
दहेज़ देने के विषय में
सावन में रह गई सत्यनारायण की कथा के बारे में
चाची के शरीर में आया हुआ साया
माघ महीने के गुरूवार
नवरात्र के उपवास
रोज़ करती है अलग-अलग बातें
कहती है बहुत कुछ

जल्द ही कामधन्धा ढूँढो
शादी के लिए ज़रूरी है
अब मुझसे नहीं निभता,
ये रोज़-रोज़

थाली में हाथ धोकर
डकार देता है कार्यकर्ता
पूरा घर सो रहा होता है
जलता रहता है
देर तक कार्यकर्ता का टेबल-लेम्प
दुनिया बदलने के सपने देखने की ख़ातिर
सो जाता है
वह
माँ की बातें याद करते करते

अपनी लड़ाई दुनिया बदलने को लेकर है,
घर बदलने को लेकर नहीं
ऐसा ख़ुद ही को समझाकर
सुबह फिर से
साईकिल पर पेडल मारता है कार्यकर्ता।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत