भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दानव औ भगवान मिलेगा / राहुल शिवाय

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:05, 23 फ़रवरी 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा |

यहीं स्वर्ग है,
यहीं नर्क है,
कर्म-फलों से मिलने वाला
यहीं मान, अपमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

पल में दुख है,
पल में सुख है,
समय-समय पर यहीं उपजता
तुम्हें पीर-अभिमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

खुद को देखो,
मन को परखो,
तभी किसी की गहराई का
तुमको भी अनुमान मिलेगा
मानव के अंदर ही तुमको
दानव औ भगवान मिलेगा

रचनाकाल-08 अप्रैल 2007