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दोस्त अपना कोई बनाओ तो / सूरज राय 'सूरज'
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दोस्त अपना कोई बनाओ तो।
ऐब ख़ुद के भी देख पाओ तो॥
शाम को दर्दे-छत बताऊँ क्या
एक दिन दोपहर में आओ तो॥
डांट बच्चे पर बासर होगी
वक़्त पर प्यार भी जताओ तो॥
फ़ासले दो क़दम के होते हैं
इक क़दम आप भी बढ़ाओ तो॥
काम दुश्मन का दुश्मनी करना
दोस्तों को भी आज़माओ तो॥
आपसे बाज़ आ गई आदत
आप आदत से बाज़ आओ तो॥
पर्त गिन पाओ अपने चेहरे की
आईना घर में इक लगाओ तो॥
ख़ोट ही ख़ोट हैं क्या "सूरज" में
इक दिया तुम कभी बनाओ तो॥