खोट पे ऐतबार करता है / सूरज राय 'सूरज'
खोट पर ऐतबार करता है।
क्या करिश्मा, सुनार करता है॥
रास्ते क्यों उदास हैं मेरे
कोई तो इंतज़ार करता है॥
सूद में आँख तलक ले लेगा
वो जो सपने उधार करता है॥
बेवफ़ाई है फूल की फ़ि तरत
बावफ़ाई तो ख़ार करता है॥
पेड़ सहमे हैं उसके आँगन के
वो कुल्हाड़ी में धार करता है॥
यार ये शब्द हैं या तीर तेरे
रूह के आर-पार करता है॥
बाप है बे-दवा मगर बेटा
ख़र्च ख़ुद पर हज़ार करता है॥
दर्दे-दिल के बिना रहूँ कैसे
माँ के जैसे दुलार करता है॥
शेर जंगल का शाह है क्योंकि
आप अपना शिकार करता है॥
मेरे दुश्मन, तेरा यक़ीं मुझपे
मुझको, मुझमे शुमार करता है॥
रब तेरा शाहकार है इन्सां
जो तुझे शर्मसार करता है॥
कूद जा खाई में मुहब्बत की
बेवजह क्यों विचार करता है॥
ये वसीयत की जंग है "सूरज"
भाई पीछे से वार करता है॥