भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द सीने में दबाये रखिये / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:33, 30 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द सीने में दबाये रखिये
अश्क़ आँखों में बसाये रखिये

बाँटने को न कोई आयेगा
ग़म कलेजे में छुपाये रखिये

साथ खुशियों के जमाना सारा
लब पे मुस्कान सजाये रखिये

मिल न पाये जिगर तो रहने दें
हाथ हाथों से मिलाये रखिये

तीरगी बढ़ने लगी है हर सूं
प्यार की शम्मा जलाये रखिये

टूट जाये न कहीं दिल कोई
दिल मे अरमान जगाये रखिये

डूब जायें न भँवर में फँस के
आप पतवार चलाये रखिये