भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दृढ़ संकल्प / राम सिंहासन सिंह

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:13, 31 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम सिंहासन सिंह |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दृढ़ संकल्प अगर हौ मन में
कौनो रोक न पयतौ
भीसन आँधी अन्धड़ आके
अपने ही थम जयतो
मनुआ के ताकत तू देखऽ
समझऽ ओकर भासा
कभी न टिकतय एकर आगे
कौनो घना कुहासा
तन के ताकत बड़ा छीन हौ
मन के ताकत जानऽ
बड़ा समुन्दर हौ ताकत के
मनुआ में पहचानऽ
जे भी काम बड़ा कैलन हे
मनुआ से हथ कैलन
पूरा भेल तभी सब सपना
जब संकल्प जगैलन।
मन के सक्ति बढ़ावऽ आबऽ
पथ पर कदम बढ़ाबऽ
जीवन के हर डगर-डगर पर
सच्चाई अपनावऽ
सत्यब्रती के आगे पथ पर
रहई न कोनो घेरा
ओकरे मन के ताकत से ही
मिटतइ घना अन्धेरा।।