भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिनख अर भगवान : च्यार / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
म्हूं मिनख हूं
पण
पत्थरां में ढूंढूं
आस्था अर भरोसौ
तद
पेट सारू घड़ूं
आप-आपरा भगवान।