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जिसने दुनियाँ में जन्म लिया, उसको जीते ही जाना है / रंजना वर्मा

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जिसने दुनियाँ में जन्म लिया,उसको जीते ही जाना है
माना कोई भी साथ नहीं,जग ही यह किन्तु ठिकाना है

दिन रात ग्रीष्म सर्दी की ऋतु,ऐसे ही सुख दुख आते हैं
है आज रात यदि मावस की,कल चंदा भी उग आना है

उपवन में फूल खिला करते,पर कांटे भी हैं उग आते
फूलों को यदि खिलना है तो,कांटों का साथ निभाना है

कंकड़ पत्थर का साथ मिला,पाँवों में पड़ते हैं छाले
मंजिल पर दृष्टि जमा अपनी,आगे ही चलते जाना है

तट पर मत बैठ गिनो लहरें,कश्ती को सागर में डालो
करना ही होगा यह तुमको,यदि मोती मूंगा पाना है

कब है समाज सुधरा कोई,केवल यों गाल बजाने से
है चाह अगर कुछ पाने की,तो खुद करके दिखलाना है

झुग्गी झोंपड़ियों में जा कर, पोंछें हम दुखियों के आँसू
जिन को सब ने ठोकर मारी,उन को अधिकार दिलाना है

डाली पर खिलते फूलों की,तकदीरें भिन्न हुआ करतीं
कुछ खिलते कुछ मुरझा जाते,जीवन का यही तराना है

उस जगत नियंता का आओ,हम मिल कर के अब ध्यान करें
छोड़ें माया जंजालों को,यह बन्धन मात्र बहाना है