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रात जब जितनी काली रहेगी / रंजना वर्मा

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रात जब जितनी काली रहेगी
भोर उतनी उजाली रहेगी

होलिका दोष देगी जला सब
खूब रौशन दिवाली रहेगी

आये बरसात भी झूम कर तो
इंद्र धनु छवि निराली रहेगी

साँवरा साथ देगा उसी का
जिसकी सीरत न काली रहेगी

मुग्ध होगा उसी पर हृदय भी
जो सुघर रूप वाली रहेगी

जोतना खेत आसान होगा
हाथ मे जब कुदाली रहेगी

देश के शिशु सभी स्वस्थ होंगे
धेनु हर घर मे पाली रहेगी

पथ प्रदर्शक बने सांवरा तो
हर डगर देखी भाली रहेगी

राह से रथ न मन का डिगेगा
वल्गा हरि ने संभाली रहेगी