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काया अर भंवरौ / ॠतुप्रिया

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थूं
झूठ अर कपट कर’र
धन भेळौ करै
ऊपरलै स्यूं
क्यूं नीं डरै

देखो
प्रकृति री माया
थारी
अठैई रै’ ज्यासी
काया

जींवतै जीव
करता रैया झोड़
अर
भंवरौ चल्यौ ज्यासी
आपरी नूंई ठौड़।