भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल किसी का न दुखाया जाये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 3 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=रौश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दिल किसी का न दुखाया जाये
हाथ से हाथ मिलाया जाये
अंजुमन में ख़ुदा के बंदों की
बिन बुलाये कभी जाया जाये
बिना सोचे कभी वादा न करें
ग़र करें उसको निभाया जाये
दिल के रिश्ते अज़ीम होते हैं
उम्र भर इनको निभाया जाये
दूर बस्ती से हैं परिन्दे जो
फिर उन्हें ढूंढ के लाया जाये
आओ सजदा करें शिवाला में
शंख मस्जिद में बजाया जाये
बो दिये जायें बीज उल्फ़त के
प्यार का बाग लगाया जाये
छोड़कर कश्तियाँ समन्दर में
नाखुदा रब को बनाया जाये
बाप माँ से भी वतन है बढ़कर
कर्ज अब उसका चुकाया जाये