Last modified on 5 अप्रैल 2018, at 08:44

कनाडा में बसंत / शैलजा सक्सेना

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:44, 5 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हवा,
अपनी बासंती अँगुलियाँ
डैफोडिल्स और ट्यूलिप की खुश्बुओं में डुबो,
लिख रही है धूप को निमंत्रण,
अप्रैल के आखिरी पन्नों पर...

धूप बेखबर खेल रही है,
आँख मिचौली बादलों के संग।

उधर हवा,
पेड़ों को जगाती हिमनिद्रा से,
घास को मुस्कुराने का आदेश देती,
कलियों का मस्तक सूँघती,
पाँव दबा, महकती, छलकती,
फिर रही है यहाँ से वहाँ,
पाहुन धूप के आने की तैयारी में जुटी.
अप्रैल के आखिरी पन्नों पर...