भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पछत रहलै पनिहारी / रामपुकार सिंह राठौर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 12 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामपुकार सिंह राठौर |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पाप पाँक में छांव पड़ल
पछता रहलै पनिहारी
पानी में पड़लै पैकिग
कि पोखरे पड़ल पनारी
पीपर पात पड़ा पोखरा
पनिया पियरायल अैसन
अगहन पछेया पवन बहे पर
धान के पतबा जैसन
पहिन पिया के पहिनायल
पंच रंगिया पातर सारी
परत परत पसरल परछांही
पहर पहर अन्हियारी
परल परल का सोंच रहल हे
परवा परलौ नारी
पातर पिया पहुँच रे पहिले
पहुँचल प्राण पछारो।