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ई का कैले / रामपुकार सिंह राठौर
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छटपट करे चिरैयाँ
ब्याधा मारलक तीर हनठ के
चें चें चिरगुनियन चिचियायल
ब्याधा ई का कैलैं रे।
तोहरा तनिको दरद न आयल
हम्मर घरवे आज बिलायल
अपन घर में का नैं मेहरी
और न बचवा पैले रे
तोहर जिनगी के धिरकार
कि जीमिया खातिर जनवाँ मार
हम्मर भैया बहिनी परिवार के
दाना बिन कलटौने रे।
कि मसवा खाके अमर होएबे
एक दिन हमरे ऐसन रोयवे
मरबे तू हूँ तोर मेहरियो
बचवो का इठलैले रे।
ऊ कैसे अदमी भेलै
जेकर दिलके नेह मर गेलै
ऐसन सुन्नर दुनियाँ में तू
कैसन आग लगैले रे।