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विनायक वंदना / दीनबन्धु
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मन कर सुमिरन, गउरी के ललन।
नित बिधिन बिनासन, जग वंदन॥
सिर स्वर्न मकुट, स्रवनन कुन्डल,
लिलरा तिरपुड, आनन सुन्दर,
सरप जनेउआ, मुँह सिनुरा,
कइसन सोभथ, मूसक वाहन॥
रिधि सिधि कर, चँवर धरे,
सुर नर मुनि, जय जय कार करे,
गुरु ग्यान सकल, सुभ के दाता।
इनखे किरिपा से, अन जन धन॥
सूमुख एक दँत कपिल गज करन,
लम्बोदर विकट, विघन नासन,
विनायक घुमरकेतु गननायक।
भाल चंद अउ गज आनन॥
ई बारह नाम जपे जे सुने,
विद्या विआह परवेस गुने,
निगमन जुध संकट गनपत।
होथिन सहाय आनन फानन॥
श्वेताम्बर धारे गउर बरन,
प्रभु चार भुजा प्रसन्न बदन,
जे जे ध्यावे से से पावे,
हरपल हरछन, कन कन कन कन॥