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जइसन नाँच नचावे विधना / दीनबन्धु
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जइसन नाँच नचावे विधना, ओइसीं घुर फिर नाचू हम।
भूख पिआस के रास में बँधके, जाचक के भी जाँचू हम॥
काम के कोड़ा कस कस मारे,
क्रोध अगिनी दे देहिया जारे,
मोह लोभ मद सान सून के, अपने पानी खाँचू हम॥
मोंट मोंट पोथी हम पढ़लूँ,
ऊँचगर ऊँचगर सीढ़ी चढ़लूँ,
हाँथ में माला कंध दोसाला, जोरू जाँता बाँचू हम॥
कखनउ तो असमान चढ़ा दे,
कखनउ कखनउ डुबा बुड़ा दे,
कखनउ कानूँ कखनउ विहँसू, खुद धिक्कारूँ ढाँचू हम॥