Last modified on 14 अप्रैल 2018, at 11:08

नदी - 3 / रोहित ठाकुर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:08, 14 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहित ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नदी सो रही है
रेत पर
भींगती हुई
खाली पाँव
वह मजदूर लड़की
भी एक नदी है
खेत में खोई है
भींग रही है ओस से
एक भींगती हुई नदी
एक भींगती हुई लड़की
हमशक्ल हैं
हँसती हुई वह लड़की
इस समय
एक बहती हुई नदी है