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कहीं बरसे तो पानी / सुनीता जैन

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इस साल कहीं बरसे तो पानी
डूबे तो कोई पुल दरिया का,
घूमे तो फिर नाव भँवर

बहकर पत्थर दूर कहीं का
जाए तो बह दूर कहीं

इस साल कहीं बरसे तो पानी

सूखे खड़े किसी खंडहर पर
फैले कोई की नरमाई,
घर की फोड़ दीवार कहीं से
उग आए पीपल की टहनी

इस साल कहीं बरसे तो पानी