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केवल हम नहीं / सुनीता जैन
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फूलों में थिरक
हवा में घुंघरू
दिनों के दिन-दिन नर्तन
होंगे कल भी
केवल हम
नहीं
कहना है जो
थोड़े में कहो,
चलो