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वागीशा / सुनीता जैन

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यदि अकेले
बैठ पेड़ पे
मिले तुम्हें गाने को-
गाना!

गाना तो वागीशा है

यह मत कहना,
जंगल में नाचा मोर
भला तो क्या नाचा?

वह नाच रहा
जिसको दिखलाने
देखो तो, वह नाच रहा है
संग-संग
हो आँख उसी के
पंख-पंख में