भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कवि आज का / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:44, 16 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बाप और बच्चा
दोनों गधे पर!
बुरी बात है!
गधा उठाया
काँधे पर!
बुरी बात है!
तो फेंक गधे को दो
पुल से दरिया में!
बुरी बात है!
अपना भी कुछ यही हाल है-
जो कुछ लिखता हूँ
जैसे भी लिखता हूँ-
अनुभव को या
अनुभूति को,
यथार्थ को या
कपोल कल्पित को
मूल्यों को या
नंगेपन को-
बुरी बात है
बुरी बात है!