न तो नेता वह,
न अभिनेता,
न बल्ले से
गेंद मारता,
न हास्य व्यंग्य
ही करता
उसको सुनने
जाए कोई
इतना समय
कहाँ था
तेरह जन में
घिरा खड़ा था
बड़ा कवि
भारत का
न तो नेता वह,
न अभिनेता,
न बल्ले से
गेंद मारता,
न हास्य व्यंग्य
ही करता
उसको सुनने
जाए कोई
इतना समय
कहाँ था
तेरह जन में
घिरा खड़ा था
बड़ा कवि
भारत का