भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न आओ न याद करो / सुनीता जैन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:41, 16 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न आओ न याद करो-

दिन तो मैंने काट लिया
संध्या भी जाती ही होगी
पक्षी लो चल पड़े नीड़को
न आओ न याद करो

रात हुई पथ देखूँ अब ना
बंद देहरी, दरवाजा, अँगना
तीन पहर बस रहे भोर को
न आओ न याद करो