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तन जो मेरा पानी-पानी / सुनीता जैन

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तन जो मेरा पानी-पानी
हो जाता था तुम से सारा
रंग पलास-सी उसके भीतर
धधका करती नित-नित ज्वाला

आज हुआ ज्यों खाई जिसमें
घायल जन्तु, घुप्प अँधियारा
तेरी माया तेरा साया
कृष्णा, तेरे संग बिहाया

तन जो मेरा पानी-पानी
हो जाता था तुम से सारा