भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनजान / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:50, 17 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
छत के पंखों,
रोशनदान,
बँधी चिक की सुरक्षा,
या कभी-कभी
गीज़र के पीछे
जगह-
इतना ही तो
माँगती है चिड़िया
तुम्हारे घर में
अपना स्थान-
अनजान!
खोला पंखा,
बन्द रोशनदान,
झाड़ी चिक,
गीज़र का स्विच ऑन
कागज़ पे रख
झाडू से,
फेंकी चिड़िया
कूड़ेदान