भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आती हुई हवा का / सुनीता जैन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 17 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आती हुई हवा ठंडी का
कैसे विश्वास करें न
कैसे तन सिहरे न
कैसे मन रीझे न

कितने लम्बे युग पीछे,
आई थी वह घर इठलाती

हाथों में फूल खिलाती
स...रे...ग...म...प प्रूार को
पग-पग में गुँजाती

जाती हुई हवा को
अब सूची दें क्या उसके
छल की,
घातों की,
दोहरी तिहरी,
बातों की जो
बातें थीं बस
कोरी