भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगस्त / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:21, 21 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त देवलेकर |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक बादल चुपके से
नमक की बंद शीशी में समा गया
एक बादल चुपके से
घुस गया रज़ाइयों में
एक बादल चुपके से
फैल गया दीवारों पर
एक बादल
जो बरसने से बच गया
अदृश्य–सा रहता है
घर के भीतर
चीमड़ मुरमुरों और
मटके की तलहटी में रहते केंचुओं को
वह अक्सर दीख जाया करता है