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प्रेम कलश / राजेश शर्मा 'बेक़दरा'

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गिनती की साँसों को
जी भर के जियो
प्रेम के अमृत कलश को
जी भर के पियो
दुनिया का क्या है
ये तो कहती जानी हैं
मीरा पर उंगली उसको
तो,यूँही उठानी हैं
पीकर प्रेम प्याला वो तो
अमर हो गयी,प्रेम दीवानी हैं
हम देखे हैं दुनियादारी
डूबी तभी प्रेम कहानी हैं