भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंदा के धंधा / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:09, 24 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा प्रसाद 'नवीन' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ई चंदा के धंधा भी धरम हे
कुरसी पर चढ़ना एगो करम हे
न सरम हे
न हया हे
न कुछ पुराना
न कुछ नया हे
सब कहऽ हे कि
अमीर आउ गरीब
भगवान के देन हइ
तोहीं सोचो
ई कहै बाला
कैसन बुधसेनियाँ हइ
इहे तो विवाद हे,
कि हियाँ
जात अउ धरम
जिंदाबाद हे।