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खखन के गाड़ी / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
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देखो ने,
आला के औलिया
हर तिजारत के पीछे
एगो बिचोंलिया
एखने के विधाता,
धैने विदेस में
अपन नाम के खाता
कहाँ जैबा?
जहाँ जैबा
कुछ नै पैबा
ई खखन के गाड़ी
जब तक नै उलटतो,
तब तक
आदमी के
आदमी से नै पटतो
चोर मंदिर में घुसल हे,
चोर महजिद के नेबाजी हे
साधू चाहे असाधू
सब हियां
पैसे के राजी हे।