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सीताराम हथकड़ी / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

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एह देखो
मँहगाई असमान पर चढ़ल जा हो
सुखी होतो देस कइसे?
बात से गढ़ल हो
पकड़ने रहो,
सीताराम खम्भ हो
तोरा जकड़ने रहो
बिना हथकड़ी के
हथकड़ी हो सीताराम,
अकाल भुखमरी के
जड़ी हो सीताराम।
हर घड़ी सीताराम
सीताराम रटो,
धरम जात झगड़ा में
लड़ो, मरो, कटो
हे भाय, सगरे अंधेर हो
तों नै जगऽ हा
इहे बस देर हो।