भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केकर लास? / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:38, 24 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा प्रसाद 'नवीन' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ई केकर लास हे?
सड़क पर पड़ल हे
चार दिन से
नाक नें देल हा हे, सड़ल हे
चीन्हऽ हे सब कोय
बोलऽ हे कोचय नै,
मरै के राज ओकर
खोलऽ हे कोय नै
कोय नै कहऽ हे कि
कैसे इै मरले हे,
ठोंठा पर लाठी
धरके कोय चहरले हे
सुनऽ हियै हम कि
जेकरा कहीं कमैले,
ऊ भी नै मरला पर
देखैले ऐलै।
पता नें मरलै कि
मारल गेले हे,
घर ओकर उजड़ल कि
उजाड़ल गेले हे।
डर से परिवार कोय
नै देखैले आबऽ हे
भीतर के बात सब
भितरे पचाबऽ हे।