भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रोता हुआ बच्चा / आनंद गुप्ता

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 2 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह आधी रात का समय है
जब सारे खाए पीए अघाए लोग
अपने दड़बे में चैन की नींद सोए है
सड़क के पार एक बच्चा रोए जा रहा है
रोते हुए बच्चे की भूख
मकानों से बार-बार टकराकर
घायल हो गिर रही है जमीन पर

यह कैसा समय है
कि बच्चे रोते चले जा रहे हैं
फिलीस्तीन से वियतनाम तक
नामीबिया से सीरिया तक
कालीहांडी से मराठवाड़ा तक
और वातानुकूलित कमरों के कान बंद हैं
राष्ट्रीय योजनाओं और घोषणा पत्रों से बाहर है
रोते हुए बच्चे
देश के नक्शे पर पड़े जिन्दा धब्बे

यह कैसा समय है
जब देश के अनाज का एक चौथाई
चील, कौवों और चूहों के नाम कर छोड़ा गया है
रोते हुए भूखे बच्चे का हिस्सा
किसी फाइल में दर्ज नहीं है

बच्चा रोए जा रहा है
गोल-गोल रोटी सा चाँद आकाश में हँसता है
बच्चे के पीछे विज्ञापन में मुस्कुराता एक चेहरा
देश की यशगाथा गा रहा है
और बच्चा है कि रोए जा रहा है।