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अँधेरे वक्त में / आनंद गुप्ता

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अँधेरे से
तुम मत घबराना
मेरे बच्चे!
रखना विश्वास अपने मन के सूरज पर
क्या हुआ जो दूर है तुम्हारी सुबह
अँधेरे में भी तुम खोज लेना अपनी राह
याद रखना बाँध कर गांठ
घने अँधेरे में ही फूटते हैं बीज
पहली बार
पौधे लेते हैं साँस
सबसे अँधेरे समय में ही
लिखी जाती है
सबसे अच्छी कविताएं
अँधेरे के रथ पर सवार हो कर ही
आती है ख्वाबों की बारात।

मेरे बच्चे!
इस अँधेरे वक्त में
नहीं कुछ मेरे पास
तुम्हे उत्तराधिकार में देने को
सिवाय थोड़े आग के
इसे अपने सीने में संभाल कर रखना
हर क्षण ठंडी पड़ती धरती को
एकदम ठंडा होने से बचाने के लिए
बुझने मत देना ये आग
देना अपने बच्चो को
इसे उपहार की तरह।


मेरे बच्चे !
इस अंधेरे वक़्त में
गर न बन सको मशाल
छोड़ना मत आस
लड़ना अँधेरे के खिलाफ
चमकना जुगनूओं की तरह।