भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह क्या कम है / प्रेमशंकर शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 12 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमशंकर शुक्ल |संग्रह=कुछ आकाश / प्रेमशंकर शुक्ल }} य...)
यह क्या कम है
घट नहीं रहा
अंतस का अमृत
जीवन की राह से
थक नहीं रहे पाँव
हताशा को धकियाता
खड़ा हूँ पूरम्पूर
जीवन की जय लगाते
लटपटा नहीं रही जीभ
यह क्या कम है