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चीजों को मरते देखा है / राहुल कुमार 'देवव्रत'

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आती-जाती सांसों से ही तो जीवन होता है

... झूठ

कि बंद हो जाने से
मार्ग मर जाते हैं
खयालों की पुरानी सूखी परतें
जब भींचती हैं गहरे
मद्धम पड़ता जाता है
मन का उजास

कभी गौर से देखो
एक हरे मैदान की घासों का जलना
और टूटना मिट्टी की परतों का
कि जैसे नीचे की मिट्टी
अब इन टूटती परतों का वजूद पहचानती नहीं
एक ही अवयव से बनी इन तहों के बीच
यूं बंटवारे के चिह्न का उगना...बेवजह
बुरा तो है