भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आरती / 2 / भिखारी ठाकुर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:38, 16 मई 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रसंग:

भगवान शिव की आरती में कामना की गई है कि वे मृत्यु भय को समान कर दें।

तेबड़ा

करऽ शिव मम हृदय मँह बास।
जइसे भानु चन्द्र मँह तारा सहित निवास॥
ताल मँह जिमि कमल खिलत पाय सूर्य-प्रकाश।
गौरी गणपति सहित शंकर रहत जिमि कैलाश।
कहे ‘भिखारी’ रहत मोहिको, यम के निशि-दिन त्रास। कर शिव मम हृदय मँह बास॥