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आइ कह क न अएलन / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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आइ कह क न अएलन त हम की करू
न ऊ वादा निभएलन त हम की करू...

हम त लिखेला कहल जाइते पाती
हुनका छुट्टी न मिलल त हम की करू...

आइ सावन-भादो आंख से झर रहल
ओइमे फागुन न लएलन त हम की करू...

आइ सबकुछ राजनीति के रंग में रंगल
गिरगिट जईसन बदललन त हम की करू...

आइ फगुआ के दिनो हए बीत रहल
ऊ खाएल किरिया के तोरलन त हम की करू...