भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाँद / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:14, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
धूप सूर्य से लेता चाँद,
हमें चाँदनी देता चाँद।
नाव रात की खेता चाँद,
है तारों का नेता चाँद।
[रचना : 16 मई 1996]