भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीदड़ जी का टी.वी. / बालकृष्ण गर्ग

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:27, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गीदड़ जी ने अपने घर
लगवाया टैलिवीजन,
बच्चे हुए प्रसन्न, देखकर
उसमें हरा-भरा वन।
परदे पर जब बबर शेर
आया तो बोली बीवी-
‘बच्चे डर जाएँगे, जल्दी
बंद करो जी, टी॰वी’।

[बाल-भारती, फरवरी 1979]