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दीप जले / बालकृष्ण गर्ग
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टिमटिम-टिमटिम दीप जले,
लगते सबको बड़े भले।
आई है दीवाली आज,
अँधियारे ने हाथ मले।
नन्हें-मुन्नों के हाथों
फुलझडियों के फूल खिले।
नहीं मिठाई के आगे-
रोटी की अब दाल गले!
[लोटपोट, सं। 500; 25 अक्तूबर 1981]