भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गले आम से मिले नीम / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:23, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुड मॉर्निंग, सत् श्री अकाल बोलो
जो बोले, सो निहाल बोलो
मुस्लिम भाई से सलाम बोलो
हर हिन्दू से राम-राम बोलो।

सबको अपनाने के गुर बोलो
सबको जो भाएँ, वे सुर बोलो
गले आम से मिले नीम बोले
भाईचारा हो असीम बोलो।

प्रेम, अहिंसा, सच, संयम बोलो
जीवन के हों सरल नियम बोलो
बोलो बस मानव की जय बोलो
मानवता की सदा विजय बोलो।