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नया खेल / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

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किरकिट, हौकी बहुत हुई अब
आओ संसद-संसद खेलें
एक हाथ में कागज-पत्तर
और एक कान मे तनी गुलेलें।

राजू बन बैठा स्पीकर
रामू सत्तादल का नेता
बीरू बन लीडर विपक्ष का
हर मौके पर पंगा लेता।
शिक्षा मंत्री बिल ले आए
सबको शिक्षा मुफ्त मिलेगी
स्कूलों में किन्तु पुरानी
पुस्तक कोई नहीं चलेगी।

शीघ्र देश के नामी लेखक
एक नया इतिहास लिखेंगे
अंग्रेज़ों ने झूठ लिखी जो
हम उन बातों को बदलेंगे।

यह सुनकर बीरू चिल्लाया
नहीं चलेगी यह मनमानी
कुर्सी पर आते ही तुमने
उलट-पुलट करने की ठानी।

बात-बात में बात बढ़ गई
होने लगा शोरगुल भारी
बैल बाजा स्पीकर बोले
बोलें केवल बारी-बारी।

फिर भी जब न थमा हंगामा
स्पीकर को गुस्सा आया
सभा विसर्जित, तुमने संसद
को मच्छी बाज़ार बनाया।