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मम्मी की साड़ी / उषा यादव
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मम्मी चली गई स्कूल।
साड़ी गई दरी पर भूल।
लौटेगी वह चार बजे।
तब तक मुनिया क्यों न सजे।
पहुँच गई शीशे के पास।
चेहरे पर छलका उल्लास।
साड़ी पहनी तह को खोल।
बन गई पूरी गोल-मटोल।
तभी पास पापा को देख।
झटपट माँ की साड़ी फेंक।
रंगे हाथ पकड़े जाकर।
मुनिया भागी शरमाकर।