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एक दिन आयेगा / कौशल किशोर

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 (बेंजामिन मोलायस को फाँसी दिये जाने पर)

मैं नहीं जानता तुम्हारे बारे में बहुत
नहीं पढ़ी तुम्हारी कोई कविता
जेल के भीतर
तुम्हारे गले पर कसते हुए फंदे के बीच से
सिर्फ सुनता हूँ तुम्हारी आवाज-
एक दिन आयेगा जब अश्वेत राज करेंगे

तुम्हारे ये शब्द
शब्द नहीं हैं
नई ज़िन्दगी के संदेश हैं
जहाँ पीटर बोथा की मौत लिखी है
और मोलायस की मुक्ति

इन्हीं शब्दों के लिए
कल उन्होंने सालोमन महलांगू को फाँसी दी थी
आज मोलायस को
कल किसी और मोलायस को
जनरल फ्रैंको और पीनोशेत की औलादें
यही तो सलूक कर सकती हैं
शब्दों के साथ

फिर भी तुम्हारे शब्द हैं कि
घन पर हथौड़े की तरह बजते हैं
मेरी संवेदना में उतरते हैं
और कविता की शक्ल लेते हैं
गर्म लोहे को मन माफिक बनाते हाथों को
मन माफिक दुनिया गढ़ने की ऊर्जा देते हैं

तुम्हारी उम्र वही थी
जिसकी दहलीज को अभी-अभी मैंने पार किया है
तुम्हारे सपने वही थे
जिसे किस्टा गौड़ व भुमैया की आँखों में
मैंने देखा है
गोरी चमड़ी में आदमी को पहचानने वाले
कभी नहीं समझ सकते
तुम्हारे और मेरे बीच के इस रिश्ते को

कि जब तुम कहते हो
आजादी बहुत करीब है
तो वह मेरी आँखों में चमकती है
खून में उबाल मारती है
नसों में फड़कती है

कि जब तुम कहते हो
मैं खून बहाऊँगा
तो मेरे सामने
नई दुनिया की परतें खुलने लगती हैं
गूंजने लगती है
मेरे इर्द-गिर्द बच्चों की किलकारी
उनकी निश्छल हँसी

हँसी
जो एक नये संकल्प का आकार लेती जाती है
कि एक दिन आयेगा
जब...