भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक रहिस दुनिया / राकेश रंजन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:30, 23 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश रंजन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक रहिस तोता
तैरिस था बनेबन लगाइस था गोता
वही मिलिस एक रोज ठुनक-ठुनक रोता !
एक रहिस मैना
छमकिस थी छनेछन नचाइस थी नैना
उसने ही छीन लिहिस तोते का चैना !
एक रहिस दुनिया
मजा-मस्त चाभिस दिस प्रेम-रसित बुनिया
प्रेम-राग ओटिस विथ घोटिस हरमुनिया !